रविवार, 15 दिसंबर 2013



सुरमयी शाम थी ऐसी
हवा का झोंका इक आया
गिरी  जुल्फे उठीं कुछ यूँ
कि मौसम प्यार का आया।

सुनहरी रौशनी चंदा बिखेर
हौले से मुस्काया
सितारों ने जमी तक
प्यार का सन्देश फैलाया।

मचलते  बादलों ने मस्ती में
नरमी को दिखलाया
गुलाबी ठंढ की सिहरन
सभी के मन को भी भाया।

कि भौरा भी कली में
बंद हो मन ही में मुस्काया
मिला जो  प्यार उसको तो
मगन हो प्रेमरस पाया।