खिलने तो दो फूल बनकर
आफरीन गयी सदा के लिए,
जाते तो सभी हैं समय के साथ
लेकिन बेटियों का क्या कसूर
जन्म लेते ही छीन ली जाती जिन्दगी
उनके हिस्से की ख़ुशी
वो मुस्कराहट और ममता
घिनौने से सच को
रोकोगे कब तुम?
वो नन्हीं कली है
बस खिलने तो दो,
फूल बन कर वो
बगिया को महकाएगी
आगे बढ़कर वो
संसार रच पायेगी ।
एक बेटी ही
बनवाती रिश्ते नए
जोड़ सबको वो गढ़ती है
सपने नए
तो खिलने दो उसको भी
एक फूल बनकर
न रोको उसे
जीने दो जी भर के।
saarthak , sundar post.
जवाब देंहटाएंdhanyvad shukla ji
हटाएंगहन ..बहुत सार्थक अभिव्यक्ति ....!!
जवाब देंहटाएंaap sabhi ko dhanyvad
हटाएंकल 14/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
dhanyvad yashvant ji
हटाएंजीने दो जी भर के...वेदना का अच्छा चित्रण
जवाब देंहटाएंbahut achha likha hai sach hai betiyan hi to do pariwar ko jodti hain.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
aap sabhi ki dhanyvad betyon ka saath dene ke liye
हटाएंएक बेटी ही
जवाब देंहटाएंबनवाती रिश्ते नए
जोड़ सबको वो गढ़ती है
सपने नए
तो खिलने दो उसको भी
एक फूल बनकर
न रोको उसे
जीने दो जी भर के।
Aapke post par pahali bar aaya hun.Aachha laga. Dhanyavad.
mujhe bhi khushi hui dhanyvad
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंअरुन (arunsblog.in)
सुन्दर रचना के लिये बधाई!
जवाब देंहटाएंmere blog par aagaman ke liye bahut bahut dhanyvad
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
जवाब देंहटाएंफुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये