एक परी ...........
झील की निर्मलता की
ओढ़नी ओढ़
हिरनी सी कुलाँचे भरती
लगाती दौड़
मोरनी सी नाच उठती
देख बादलों की ओर
हवाओं सी बह उठती
उष्णता छोड़
अमराइयों में गा उठती
कोयल सी रोज
चंदा से मांग लेती
चांदनी की ओज
खिलखिलाती हँस पड़ती
बैठ अम्मा की गोद
एक परी बन के आई
बिटिया इक रोज .............
उन्नति के जन्मदिन पर
झील की निर्मलता की
ओढ़नी ओढ़
हिरनी सी कुलाँचे भरती
लगाती दौड़
मोरनी सी नाच उठती
देख बादलों की ओर
हवाओं सी बह उठती
उष्णता छोड़
अमराइयों में गा उठती
कोयल सी रोज
चंदा से मांग लेती
चांदनी की ओज
खिलखिलाती हँस पड़ती
बैठ अम्मा की गोद
एक परी बन के आई
बिटिया इक रोज .............
उन्नति के जन्मदिन पर