मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

चेहरे का भाव            

एक मधुर स्पंदन 
तृप्त  हुआ व्याकुल मन 
तुम्हें गोद में लेकर 
मैं भूल चुकी सारे बंधन 
ममत्व की छाँव में 
सर्वोतम सुख पाने की 
जो ख़ुशी है मुझमे 
हाँ तुम्ही पढ़ सकती हो 
मेरे चेहरे का भाव 
 महसूस कर सकती हो 
कि मैं तेरी जननी हूँ
क्योंकि एक दिन होगा 
यही भाव तेरे चेहरे का । 

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

सपने 

बोझिल आँखें 
नींद से भरी रातें 
सरकते समय को 
पकड़ने की कोशिश 
रोजमर्रा की भागमभाग 
फिर भी बनते सपने 
जो खुली आँखों से 
देखे जाते , गढ़े  जाते 
टूटते , फिर बनते 
यथार्थ और कल्पनाएँ 
जहाँ एकाकार होने को आतुर 
रुकने का नाम न लेती 
हाँफती सांसें 
सपनों के बीच 
भागती रातें 
करवटों में गुजरती रातें 
बहुत कुछ पाने की होड़ में 
दौड़ लगाते 
कभी न थकते 
उम्मीद से बने इरादे 
पुनः बढ़ते जाते 
सपनों के दायरे ।