मंगलवार, 14 अगस्त 2012

एक लड़की ..............

                                                 एक लड़की ..............
                  एक लड़की नेहा नाम है उसका , किस्मतवाली है जो उसे उसका नाम मिला वरना  वह भी उन्ही लड़कियों में शामिल हो जाती जिनका कोई नाम नहीं होता । माँ के गर्भ में आते ही यह जान  लिया जाता है कि बेटी है या बेटा और यदि बेटी  होती तो उसके जन्म  लेने का सवाल ही नहीं उठता फिर कैसा नाम और कैसी पहचान । वो माँ जिसके गर्भ में वो आई थी सिर्फ उसे ही पहचान होती है कि उसके गर्भ में भी  एक नन्ही कली है पर चाह कर भी वो उसे नहीं बचा नहीं सकती । दोनों के बीच एक  रिश्ता होता जो सिर्फ  और सिर्फ   उस के  द्वारा ही महसूस किया जाता जो उससे जुड़ा  होता ।
              नेहा को  अपने वजूद के  लिए  संघर्ष  करना था लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि अभी तो वह अपनी माँ के गर्भ में सिर्फ तीन महीने की ही तो थी । वो जन्म  लेगी  या नहीं इसका निर्णय उसकी माँ भी नहीं कर सकती थी । नेहा अपनी  तीन बहनों के बाद चौथे नंबर पर जन्म  लेती शायद इसीलिए जब वे लोग जान गए कि लड़की जन्म लेगी तो नहीं  चाहते थे कि नेहा का जन्म हो । लड़के की चाहत में तीन बेटियां पहले ही हो चुकी थी । परिवारवालों ने निर्णय लिया कि नेहा को जन्म लेने ही नहीं दिया जायेगा , अर्थात भ्रूण हत्या होना निश्चित था । नेहा की माँ भी इसके लिए तैयार थी , शायद मज़बूरी  में । इस काम के लिए वो मेरे  घर पटना आई । जब मेरी माँ को पता  चला कि वो इसीलिए आई है तो एकदम गुस्सा हो गयी और समझाया कि इसे जन्म लेने दो ,  वैसे भी वे लोग चार महीने का गर्भपात करवाना चाहते थे जो खतरनाक था । माँ ने समझाया कि शायद इसके जन्म के बाद ही बेटा हो। इस तरह उन्हें  समझाने में माँ को काफी समय लगा तब जाकर वे लोग माने । इस तरह नेहा का जन्म संभव  हो सका और वो अपना नाम पा  सकी । कितना वाद - विवाद और मुश्किलों का दौर रहा होगा वो । शायद माँ के गर्भ में नेहा भी महसूस करती होगी ।
                    नाम तो उसे जन्म  से ही मिल गया लेकिन उसके साथ -साथ उसकी माँ को भी बेटा नहीं होने के ताने सुनने पड़े । नेहा के बाद उसका भाई पैदा नहीं हुआ । दुःख तो उसके माता - पिता दोनों को था लेकिन समय के साथ उन्होंने उसे अपनी किस्मत समझ ली । उसके बाद वे लोग मेरे घर कभी नहीं आये । एक तरह से सम्बन्ध ही टूट गया ।
                     अभी कुछ दिनों पहले नेहा की नानी का फोन मेरे पास आया था कि नेहा का सलेक्शन मेडिकल में हो गया है । अपने परिवार की पहली लड़की नेहा है जो मेडिकल  की पढाई कर रही है और उसकी जिंदगी की यह  नयी शुरुआत पटना में मेरे घर से ही हुई । उसके माता-पिता मेरी माँ से आशीर्वाद दिलाने  के लिए  लाये  थे। ख़ुशी का  ठिकाना नहीं  था। नेहा अपने परिवार के लड़कों को पछाड़  कर  आगे बढ़ गयी है । अब उसके माता-पिता  को बेटा नहीं होने का गम नहीं है और समाज में  होनहार बेटी के पिता के रूप में काफी सम्मान हो गया है ।
                    इश्वर करे ये बेटी खूब आगे बढे ..............................