बुधवार, 4 जून 2014

          बंधन 
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बहुत  ऊँची  उड़ान उड़नी थी उसे
नीले आकाश की ऊँचाइयों में
स्वछंद होकर घूमना था
देखी थी उसने नील गगन को
कई बार घोंसले से निकलकर
नजरें  जब भी ऊँची करती
और भी खूबसूरत दिखता आसमान 
कोई बंधन नहीं था वहाँ
इस छोटे से दरख़्त पर फुदकना
अपने खूबसूरत पंखों को फैलाना
बस  यहीं तक सीमित नहीं रहना था उसे
माप लेना चाहती थी आसमान को
स्वछंद होकर बादलों के बीच उड़ना था उसे 

माँ की अनुभवी आँखें
उसके ख़्वाबों को जान चुकी थी
एक-एक कदम बढ़ाने की हिदायत देती
पर वह तो ठान चुकी थी
आजादी से उड़ने  की
बंधन  मुक्त होने की
उसकी खूबसूरती की लोलुप नजरें
कब से उसे घूर रही थी
दबोचने की चाह में
पर बेखबर वह बेचैन थी

बादलों से बातें करने की चाहत
उसे और भी व्यग्र बनाती
 आखिर एक दिन उड़  चली
अपनी ख्वाहिश पूरी करने
और दबोच ली गयी
शैतानी पंजों में  
तड़पती उसकी जिंदगी 
और दम तोड़ती ख्वाहिशें 
नजर आने लगा उसे 
नीला आसमान बिल्कुल काला 
बदरंग और बन्धनयुक्त ………… 



हमारी बेटियों के लिए यह रचना ………… 





रविवार, 15 दिसंबर 2013



सुरमयी शाम थी ऐसी
हवा का झोंका इक आया
गिरी  जुल्फे उठीं कुछ यूँ
कि मौसम प्यार का आया।

सुनहरी रौशनी चंदा बिखेर
हौले से मुस्काया
सितारों ने जमी तक
प्यार का सन्देश फैलाया।

मचलते  बादलों ने मस्ती में
नरमी को दिखलाया
गुलाबी ठंढ की सिहरन
सभी के मन को भी भाया।

कि भौरा भी कली में
बंद हो मन ही में मुस्काया
मिला जो  प्यार उसको तो
मगन हो प्रेमरस पाया।




शनिवार, 23 नवंबर 2013

                                       
                              तरुण तेजपाल जैसे लोगों को क्या  सजा मिले ?


          तहलका के तरुणतेजपाल को क्या कहेंगे सभ्य नागरिक ? एक लड़की उनपर आरोप लगाती है और ख़बरें पुरे देश की  जनता देखती है कि एक प्रतिष्ठित व्यक्ति भी यौन शोषण का दोषी हो सकता है , आसाराम और उनके बेटे नारायण स्वामी की करतूत से जहाँ साधू समाज कलंकित हो गया है और लोगों का विश्वास साधू संतों पर से उठ गया है वहीं मिडिया के चर्चित नाम ने अपनी सीमा रेखा पार करते हुए ये बिलकुल नहीं सोंचा कि उसे पूरा देश घृणा की  नजर से देखेगा। महिलाएं अपने अधिकार के लिए लड़ती हैं और वो जानती हैं कि बड़े और ऊँची हैसियत वाले लोगों के खिलाफ खड़ा होना कितना चुनौतीपूर्ण होगा फिर भी हिम्मत ने उसे संघर्ष करने के लिए खड़ा  किया। सफलता कितनी मिलेगी और कितने लोग उसके सहायक होंगे कहा नहीं जा सकता लेकिन इतनी हिम्मत तो है जो उसने  अपनी बात लोगो के सामने रखी। वह एक अकेली लड़की नहीं है जिसे यौन शोषण का शिकार होना पड़ा बल्कि अनेकों लड़कियां रोज प्रताड़ित होती हैं अपने सहकर्मियों से या अपने बॉस से, पर कितनी विरोध करती हैं , इतनी हिम्मत उनमे नहीं है कि वे अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकें और यदि हिम्मत करती भी हैं तो घरवाले ही उन्हें चुप करा देते हैं , उसका साथ नहीं देते। 
                                            अपनी सोंच में अय्याशी शामिल कर खुद को समाज के सभ्य नागरिक मानने वाले ऐसे बहुत सारे लोगों की  करतूतें यदि  समाज में लायी जाय तो उनकी गन्दी छवि समाज भी जान ले। किसे पता था कि तहलका मचाने  वाले खुद एक दिन तहलका बन जायेंगे। 
                                           ऐसे लोगों से लड़ने के लिए सभी लोगों को सहयोगी बनना होगा क्योकि हर घर में महिलाएँ हैं और यदि कोई भी  महिला चाहे वो किसी भी घर की  हो शोषित होगी तो पूरी महिलाओं का अपमान होगा।  लड़ना तो जरुर होगा लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब समाज के सभी लोग साथ रहे।  

बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

हमारी बेटियाँ

हमारी बेटियाँ  

 रूप लेकर लक्ष्मी का
  जन्म लेती बेटियाँ
स्वयं गढ़ती भाग्य अपने                            
  सघर्ष करके बेटियाँ  
 कम न आँको उनको 
तेज ऐसा रखती बेटियाँ 
 वक्त आये तो बन जाती 
रानी झाँसी जैसी बेटियाँ 
  है जुनून ऐसा कि 
इतिहास  रचती बेटियाँ 
 तोड़ परम्पराओं को 
बेटों से आगे बेटियाँ। 



                                                                 महारानी लक्ष्मी बाई की तस्वीर
 इस  दीवाली संकल्प लें कि हम बेटियों को बचाएँगे और उन्हें खूब आगे बढायेंगे। 














                                                                                                   




                                                                                                          

सोमवार, 26 अगस्त 2013

  क्यों हुई वह लड़की ?

पुनः ख़बरों में है एक बेटी
लुटी अस्मत, मौत से लड़ती 
सवाल खड़ा करती
कब तक सहती रहेगी
कही न कही एक बेटी
आवाज उठाने वाले
हर तरफ है तैयार
कानून भी है बनकर तैयार
लेकिन क्या बच सकेगी बेटी?


सवालों से घिरी है चुनौती 
क्या कानून, पुलिस, सरकार 
दे सकते हैं उसे जबाब 
 जब वह अन्दर से घुटेगी 
अपनी बेबसी पर कोसेगी 
कि क्यों हुई वह लड़की ........................?

शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

अधखिली कली




पहाड़ी के पीछे 
दिख रही थी 
एक अधखिली कली
सकुचाई, थोड़ी सिमटी 
बाहर  आने को आतुर 
अपने स्वरुप को तराशती 
हवा के संग झूमती 
बादलों की ओर देखती 
मोहक मुस्कान बिखेरती …………….  

अभी कल ही तो खिली थी 
आज तोड़  ली गयी 
खिलने से पहले ही 
नीले आसमान ने देखा 
उसकी बेबसी , लाचारी 
बादलों ने गरज कर की 
विरोध की तैयारी 
कड़कती बिजलियों ने 
शोर भी मचायी ………. 

सब कुछ व्यर्थ 
अनछुई न रह पायी 
पहाड़ी के पीछे 
अब नहीं रही 
अधखिली कली …………… 


मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

एक परी ...........

एक परी ...........
         
          झील की निर्मलता की 
              ओढ़नी ओढ़ 
         हिरनी सी कुलाँचे भरती 
              लगाती दौड़ 
         मोरनी सी नाच उठती 
             देख बादलों की ओर 
         हवाओं सी बह उठती 
             उष्णता छोड़ 
         अमराइयों में गा उठती
             कोयल सी रोज 
        चंदा से मांग लेती 
           चांदनी की ओज 
        खिलखिलाती हँस पड़ती 
           बैठ अम्मा की गोद 
       एक परी बन के आई 
           बिटिया इक  रोज .............


उन्नति के जन्मदिन पर