उन्नति की ओर हमारी बेटियाँ
बुधवार, 27 जून 2012
कागज की कश्ती
कागज की कश्ती
सूरज की तपती गर्मी से
सूखी धरती सारी
फिर बारिश की बूंदों से
चहुँओर हुई हरियाली
हरी-हरी बगिया में फिर से
उड़ती तितली रानी
और किसानों ने फिर से
खेतों में बीज बिछाई
काले-काले मेघों से
बच्चों ने आस लगायी
और लिए कागज की कस्ती
फिर से दौड़ लगायी .
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