कागज की कश्ती
कागज की कश्ती
सूरज की तपती गर्मी से
सूखी धरती सारी
फिर बारिश की बूंदों से
चहुँओर हुई हरियाली
हरी-हरी बगिया में फिर से
उड़ती तितली रानी
और किसानों ने फिर से
खेतों में बीज बिछाई
काले-काले मेघों से
बच्चों ने आस लगायी
और लिए कागज की कस्ती
फिर से दौड़ लगायी .
waah ...nayi umang bhartii rachnaa ...
जवाब देंहटाएंdhanyvad anupma ji
हटाएंवृष्टि पड़े टापुर टूपुर ... बहुत बढिया!
जवाब देंहटाएंham bhi chahte hai ki vristi pade tapur tupur.......
हटाएंबहुत प्यारी रचना....
जवाब देंहटाएंaabhar aapka......
हटाएंबारिश सी सुकून पहुंचती रचना.बहुत सुन्दर.
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