गुरुवार, 12 जुलाई 2012

 गोहाटी की शर्मनाक घटना : क्या हर मोड़ पर दुशासन है खड़ा ?


                      मर चुकी है मानवता या कायर हो गया है समाज जिसके सामने एक लड़की को करीब 20-25 से भी अधिक लोग  नोच  रहे थे और तमाशबीन बन समाज देख रहा था , या फोटो खीचने और विडियो फ़िल्म बनाने में ही लोगों को आनंद आ रहा था , शायद इससे अच्छा सीन उन्हें फिर नहीं मिलने वाला था . जो हाथ कैमरा ऑन करने में लगा था वो हाथ उस लड़की को बचा भी सकता था लेकिन नहीं , तब ये सीन कौन लेता क्योंकि लड़की की इज्जत से ज्यादा जरुरी था उसके साथ हो रहे हादसे की फ़िल्म बनाना .एक दिन  उनके घर की बेटियों के साथ ऐसा होगा तब भी वे क्या फ़िल्म ही बनायेगे ?
                   ऐसे समाज में हम जी रहे हैं जहाँ हर मोड़ पर दुशासन खड़ा है और उसके द्वारा किये जा रहे चीरहरण की फ़िल्म भी बनायीं जाती  है, बार -बार देखने के लिए . इससे रोचक फ़िल्म जो नहीं मिलती देखने के लिए ,तो सबसे ज्यादा जरुरी था फ़िल्म बनाना , लड़की का क्या उस पर तो चरित्रहीनता का लेबल लगाने के लिए पहले से ही न्यूज तैयार रहता है . सदियों से नारी को यह  सम्मान समाज से ही मिलता रहा है बस रूप बदल गए हैं . हम आधुनिक जो होते जा रहे हैं तो ऐसे में हस्तिनापुर की राजसभा तो नहीं मिलेगी, तो भीड़ भरी रोड ही सही और न ही भगवन कृष्ण ही आने वाले थे जो उस बेचारी को उन बहशियों से बचा लेते . 
                        अब जागना होगा और इस तरह के दुशाशन से लड़ने के लिए अपनी बेटियों को भी तैयार करना होगा क्योंकि हम कृष्ण की उम्मीद नहीं करते और न ही उनकी भक्ति में लीन समाज की क्योंकि ये दोनों सिर्फ और सिर्फ मूकदर्शक बन के रह जाते हैं . हमें भी तैयारी  करनी होगी जिससे  हम इन दुस्साहसियों से अपनी बेटियों की रक्षा कर सके , अपनी बेटियों को साहसी बनाकर उनके अन्दर हिम्मत पैदा  करें ....................
                          










9 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सहमत हूं आप से हम समाज को नहीं बदल सकते है उसकी सोच नहीं बदल सकते है तो बेहतर है की हम अपनी बेटियों को ही उससे लड़ने की हिम्मत दे सके उसके लायक बना सके की वो अपनी रक्षा खुद कर सके |

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  2. असली चेहरा है हमारी सामाजिक सोच का.... गौरतलब यह भी यह बेहूदगी करने वाले कोई अनपढ़ गंवार नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोग थे ....... इससे ज्यादा दुखद क्या हो सकता है...

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  3. हम इन दुस्साहसियों से अपनी बेटियों की रक्षा कर सके , अपनी बेटियों को साहसी बनाकर उनके अन्दर हिम्मत पैदा करें
    बिल्‍कुल सही ...

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  4. इंसानियत को शर्मशार करती इस घटना ने हमें कलंकित कर दिया है । मानवता कराह उठी है ।निंदनीय.. । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।

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  5. शर्मशार ये कर रहे, पढ़ा लिखा समाज
    साहस रखे ये बेटियाँ, शुरू करे आगाज,,,,,,

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

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  6. अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले सालों में इंसानियत किस्से कहानियों में ही मिलेगी .
    अच्छा लेख , आभार

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