एक लड़की ..............
एक लड़की नेहा नाम है उसका , किस्मतवाली है जो उसे उसका नाम मिला वरना वह भी उन्ही लड़कियों में शामिल हो जाती जिनका कोई नाम नहीं होता । माँ के गर्भ में आते ही यह जान लिया जाता है कि बेटी है या बेटा और यदि बेटी होती तो उसके जन्म लेने का सवाल ही नहीं उठता फिर कैसा नाम और कैसी पहचान । वो माँ जिसके गर्भ में वो आई थी सिर्फ उसे ही पहचान होती है कि उसके गर्भ में भी एक नन्ही कली है पर चाह कर भी वो उसे नहीं बचा नहीं सकती । दोनों के बीच एक रिश्ता होता जो सिर्फ और सिर्फ उस के द्वारा ही महसूस किया जाता जो उससे जुड़ा होता ।
एक लड़की नेहा नाम है उसका , किस्मतवाली है जो उसे उसका नाम मिला वरना वह भी उन्ही लड़कियों में शामिल हो जाती जिनका कोई नाम नहीं होता । माँ के गर्भ में आते ही यह जान लिया जाता है कि बेटी है या बेटा और यदि बेटी होती तो उसके जन्म लेने का सवाल ही नहीं उठता फिर कैसा नाम और कैसी पहचान । वो माँ जिसके गर्भ में वो आई थी सिर्फ उसे ही पहचान होती है कि उसके गर्भ में भी एक नन्ही कली है पर चाह कर भी वो उसे नहीं बचा नहीं सकती । दोनों के बीच एक रिश्ता होता जो सिर्फ और सिर्फ उस के द्वारा ही महसूस किया जाता जो उससे जुड़ा होता ।
नेहा को अपने वजूद के लिए संघर्ष करना था लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि अभी तो वह अपनी माँ के गर्भ में सिर्फ तीन महीने की ही तो थी । वो जन्म लेगी या नहीं इसका निर्णय उसकी माँ भी नहीं कर सकती थी । नेहा अपनी तीन बहनों के बाद चौथे नंबर पर जन्म लेती शायद इसीलिए जब वे लोग जान गए कि लड़की जन्म लेगी तो नहीं चाहते थे कि नेहा का जन्म हो । लड़के की चाहत में तीन बेटियां पहले ही हो चुकी थी । परिवारवालों ने निर्णय लिया कि नेहा को जन्म लेने ही नहीं दिया जायेगा , अर्थात भ्रूण हत्या होना निश्चित था । नेहा की माँ भी इसके लिए तैयार थी , शायद मज़बूरी में । इस काम के लिए वो मेरे घर पटना आई । जब मेरी माँ को पता चला कि वो इसीलिए आई है तो एकदम गुस्सा हो गयी और समझाया कि इसे जन्म लेने दो , वैसे भी वे लोग चार महीने का गर्भपात करवाना चाहते थे जो खतरनाक था । माँ ने समझाया कि शायद इसके जन्म के बाद ही बेटा हो। इस तरह उन्हें समझाने में माँ को काफी समय लगा तब जाकर वे लोग माने । इस तरह नेहा का जन्म संभव हो सका और वो अपना नाम पा सकी । कितना वाद - विवाद और मुश्किलों का दौर रहा होगा वो । शायद माँ के गर्भ में नेहा भी महसूस करती होगी ।
नाम तो उसे जन्म से ही मिल गया लेकिन उसके साथ -साथ उसकी माँ को भी बेटा नहीं होने के ताने सुनने पड़े । नेहा के बाद उसका भाई पैदा नहीं हुआ । दुःख तो उसके माता - पिता दोनों को था लेकिन समय के साथ उन्होंने उसे अपनी किस्मत समझ ली । उसके बाद वे लोग मेरे घर कभी नहीं आये । एक तरह से सम्बन्ध ही टूट गया ।
अभी कुछ दिनों पहले नेहा की नानी का फोन मेरे पास आया था कि नेहा का सलेक्शन मेडिकल में हो गया है । अपने परिवार की पहली लड़की नेहा है जो मेडिकल की पढाई कर रही है और उसकी जिंदगी की यह नयी शुरुआत पटना में मेरे घर से ही हुई । उसके माता-पिता मेरी माँ से आशीर्वाद दिलाने के लिए लाये थे। ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। नेहा अपने परिवार के लड़कों को पछाड़ कर आगे बढ़ गयी है । अब उसके माता-पिता को बेटा नहीं होने का गम नहीं है और समाज में होनहार बेटी के पिता के रूप में काफी सम्मान हो गया है ।
इश्वर करे ये बेटी खूब आगे बढे ..............................
नाम तो उसे जन्म से ही मिल गया लेकिन उसके साथ -साथ उसकी माँ को भी बेटा नहीं होने के ताने सुनने पड़े । नेहा के बाद उसका भाई पैदा नहीं हुआ । दुःख तो उसके माता - पिता दोनों को था लेकिन समय के साथ उन्होंने उसे अपनी किस्मत समझ ली । उसके बाद वे लोग मेरे घर कभी नहीं आये । एक तरह से सम्बन्ध ही टूट गया ।
अभी कुछ दिनों पहले नेहा की नानी का फोन मेरे पास आया था कि नेहा का सलेक्शन मेडिकल में हो गया है । अपने परिवार की पहली लड़की नेहा है जो मेडिकल की पढाई कर रही है और उसकी जिंदगी की यह नयी शुरुआत पटना में मेरे घर से ही हुई । उसके माता-पिता मेरी माँ से आशीर्वाद दिलाने के लिए लाये थे। ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। नेहा अपने परिवार के लड़कों को पछाड़ कर आगे बढ़ गयी है । अब उसके माता-पिता को बेटा नहीं होने का गम नहीं है और समाज में होनहार बेटी के पिता के रूप में काफी सम्मान हो गया है ।
इश्वर करे ये बेटी खूब आगे बढे ..............................
वजूद,,,,,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी के
हर जशन को अधूरा पाओगे
अगर बेटियों के आगमन से
इतना कतराओगे,
जीवन का ये अनमोल सुख
कैसे पाओगे,
काश-
तुम्हारे एक बेटी होती
प्यार से उसका नाम रखते ज्योति,
सहमी सहमी सिमटी सी
गुलाबी कपड़ों लिपटी सी
टुकुर टुकुर निहारती,
जैसे बेरहम दुनिया को देखना चाहती
उसका हंसना बोलना और मुस्कराना
तुम्हारा प्यार से माथे को सहलाना,
गाल चूमकर नाम से बुलाते-
गोद में उठाकर सीने से लगाते-
तो तुम्हरा दिल खुशियों से नाच उठता
कितनी ठंडक पडती कितना सकून मिलता,
नन्हे नन्हे पैरों से चलने की आहट
हंसना रोना और उसकी खिलखिलाहट,
गोद में उठाकर लोरी सुनना
उंगली पकडकर चलना सिखाना
तोतली जबान से कुछ कहने की चाहत
समाज के दोगली बातों से आहात
जैसे कहना चाह रही हो-?
बेटे और बेटी में इतना फर्क,
इसमें हम बेटियों का क्या कसूर
एक बार हमारे पंख लगाकर के देखो
खुले आसमान में उड़ाकर के देखो-
हम क्या नहीं कर सकती॥?
लक्ष्मीबाई, से लेकर मदरटेरसा, तक
इंदिरा गांधी,से लेकर कल्पना चावला तक
ये भी तो किसी की बेटियां थी,
बेटियां समाज की धडकन होती है
दो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-
घर बसाती है
माँ बनकर इंसानी रिश्तों की,
भावनाओ से जुडना सिखाती है
पर तुमने-?
पर जमने से पहले ही काट डाला
शरीर में जान-?
पड़ने से पहले ही मार डाला,
आश्चर्य है.?
खुद को खुदा कहने लगे हो
प्रकृति और ईश्वर से
बड़ा समझने लगे हो
तुम्हारे पास नहीं है।
कोई हमसे बड़ा सबूत,
हम बेटियां न होती-?
न होता तुम्हारा वजूद.....
dheerendra.....
वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
बहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी ..........आभार
हटाएंबेटियाँ किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति .
बेटियों की गर्भ में हत्या बिलकुल अमानवीय है !
इस विषय पर मैंने एक कविता लिख रखी है बहुत पहले
होगा तो डालूँगा अपने ब्लॉग पर .
साभार !
आभार............
जवाब देंहटाएंhttp://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/08/blog-post_15.html
जवाब देंहटाएंprerna dayak ...abhar
जवाब देंहटाएंshikchatmak......
जवाब देंहटाएंहोंगे परिर्वर्तन....बदलेगी मान्यताएं....आस टूटे न बस....
जवाब देंहटाएंअनु
बिलकुल बदलेगी हमारी सोंच
हटाएं*परिवर्तन
जवाब देंहटाएंबेटियों के बिना घर ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना और विचार
यदि नेहा मेडिकल में न जाती तो क्या उसे जन्म देना गलत सिद्ध होता? क्यों किसी लड़की को अपने अस्तित्व को सही, उपयोगी सिद्ध करना पड़ता है? क्यों उसकी तुलना बेटे से की जाए? प्राय: पढ़ने को मिलता है कि कैसे बेटी बेटे से अधिक माता पिता का सहारा बनी, या उनका अधिक ध्यान रखती है या अधिक आज्ञाकारी या स्नेही है, अत: उसे जन्म दो. क्यों? क्यों नहीं वह जैसी भी हों जन्म लेने की अधिकारी हों?
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
बस यही तो होना चाहिए हमें अपनी सोंच बदलनी चाहिए
हटाएंसंवेदनशील विचार
जवाब देंहटाएंeid mubarak ..sarthak post
जवाब देंहटाएंWORLD'S WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION-JOIN THIS NOW
धन्यवाद
हटाएंsandhyaa जी आपकी ये पोस्ट एक पत्रिका के लिए jaa रही हूँ ....
जवाब देंहटाएंअपना संक्षिप्त परिचय , पोस्ट पता , blog पता , तस्वीर मेल करें ...