गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

भगवान महावीर : अहिंसा का सन्देश

          भगवान महावीर : अहिंसा का सन्देश

                       अहिंसा परमो धर्म:, भगवान महावीर ने अहिंसा की परिधि का विस्तार किया है । यह अहिंसा सिर्फ पशु वध के रोक तक सीमीत नहीं है बल्कि भगवान महावीर के अहिंसा का विस्तार बहुत दूर तक है । इसमे मन को भी अहिंसा का रूप धारण करने को कहा गया है अर्थात हमें अपने मन को शुद्ध रखना चाहिए , किसी के प्रति दुर्विचार नहीं रखनी चाहिए और न ही किसी को अपनी कडवी बातों से चोट पहचानी चाहिए । यह सही है कि सत्य कडवा होता है लेकिन यदि इससे किसी के ह्रदय को चोट पहुंचे तो यह तो हिंसा ही हुआ क्योंकि यह चोट भी गहरा जख्म देता है । अतः इसे भी हिंसा की श्रेणी में रहनी चाहिए ।
                 
                           मनुष्य को मन, वचन और कर्म से हिंसा नहीं करनी चाहिए । हमारी कठोर वाणी भी हिंसा की श्रेणी में ही आती है । पर हम भगवान महावीर  की जयंती तो मानते है लेकिन कभी उनके सिधान्तों पर अमल नहीं करते । मानव अपनी इस प्रवृति को छोड़ नहीं पाता और जब भी मौका मिलता वह शब्द वाणों को चला ही देता है जो ऐसे  होते है की भीतर तक घाव करते हैं। 

                        अहिंसा के महाव्रत  ने पूरे विश्व को शांति का सन्देश दिया है , रास्ता दिखाया है और मानव के ह्रदय में प्रेम का सन्देश अर्पित किया है । भगवान् महावीर ने कहा है कि हर जीव को  जीने का अधिकार है , जियो और जीने दो । यह सन्देश यदि अपना लिया जाय तो कल्याण स्वयं होगा । आज विश्व को इसी की आवश्यकता   है ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.

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  2. पहले स्थूल रूप में अहिंसा का पालन हो,तभी सूक्ष्म की ओर बढ़ना संभव। अहिंसा का भाव अनेक रोगों के शिकार होने से बचाता है।

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  3. सुन्दर आलेख, अहिंसा परमो धर्मः! बच्ची का चित्र बहुत ही प्यारा है।

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  4. भगवान् महावीर ने कहा है कि हर जीव को जीने का अधिकार है , जियो और जीने दो । यह सन्देश यदि अपना लिया जाय तो कल्याण स्वयं होगा
    डॉ संध्या जी बहुत सुन्दर सन्देश ..भगवन महावीर को नमन ..काश लोग कुछ अच्छाइयों को अपना लें ....जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    प्रतापगढ़

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  5. इतनी प्यारी छवि इस बालिका की मन मोह लेती है ..मन पूछने को कहता है कौन है ?
    डॉ संध्या जी बहुत सुन्दर सन्देश ..भगवन महावीर को नमन ..काश लोग कुछ अच्छाइयों को अपना लें ....जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    प्रतापगढ़

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  6. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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