शनिवार, 1 सितंबर 2012

जीवन तो दो ............

जीवन  तो दो ............

छू  तो लिया हमने
आसमान की बुलंदियों को
और तुम नीचे  से            
हमारी ही आँखों से
देख रहे हो अंतरिक्ष के
अनसुलझे रहस्यों को
जो तुम्हारी पहुँच से है दूर
पर मैंने पा लिया है
कई बेटों को पछाड़
भर ली ऊँची उड़ान
मैं भी तो बेटी ही हूँ
फिर क्यों मुझ जैसी ही
बेटियों को मार देते हो
जन्म  लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकार
बस एक ऊँगली थाम 
बेटियाँ  हैं  अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........

4 टिप्‍पणियां:

  1. सच है। हाईस्कूल/हायर सेकेंड्री की परीक्षाओं में तो बेटियाँ हर साल ही बेटों को पछाड़कर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं।

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  2. बहुत अच्छा कहा है आपने. दुःख की बात है कि उनको जीवन में आने से पहले ही मार दिया जाता है. और जो जीवन में आ जाते है उनमे कई जीवन ऐसे गुज़रते हैं जो मौत से कम नहीं. अपने छोटे से अनुभव और ग्राम्य जीवन में देखे कई बातें अब मुझे बहुत झकझोरती हैं.

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