थोड़ा समय सिर्फ और सिर्फ अपने लिए
हम सभी जीवन में अपनी ही धुन में रहते हैं । बहुत कुछ पा लेने की तमन्ना होती है और हम उसी के पीछे भागते -भागते कब खुद से दूर हो जाते हैं पता ही नहीं चलता । हमसे जुड़े सभी रिश्ते हमसे बहुत कुछ पा लेते हैं और अपनी दुनिया में आगे बढ़ जाते है पर हम पुनः नए रिश्तों और अपनों के बीच ही सिमटे रहते हैं । ये सही है कि जिन्दगी अकेले नहीं जी सकते , हर मोड़ पर हमें कुछ अपनों का साथ भी होना चाहिए । कभी हम उनके काम आये तो कभी वो हमारे , लेकिन इन सब के बीच कुछ पल हमें अपने लिए भी रखने चाहिए जिसमे खुद के सिवा और कोई नहीं हो। सिर्फ अपनी बातें हो और हो थोडा सा सुकून हो , खासकर महिलाएं तो अपने लिए समय कम ही निकाल पाती हैं लेकिन जिंदगी को बेहतर ढंग से जीने के लिए थोड़ा समय अपने लिए भी होना चाहिए .................
जीवन की आपाधापी में
रिश्ते जुड़ते ही जाते हैं
हम तन्मयता को भूल गए
कब दिन बीता जो अपना था
कब पल वो केवल अपना था
कुछ बातें करनी थी खुद से
वो बातें कब की बीत गयी
हम अब भी मूक-बधिर बनके
बस यूँ ही देखते रहते हैं
जीवन की आपाधापी में
रस्ते कितने मिल जाते हैं
हम कितने दूर निकलते गए
यह सोंचते ही जाते हैं
कुछ पल जो छूट गए हमसे
कुछ हम ही छोड़ते जाते हैं
जीवन की आपाधापी में ..................
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंresent post : तड़प,,,
हम कितने दूर निकलते गए
जवाब देंहटाएंयह सोंचते ही जाते हैं
कुछ पल जो छूट गए हमसे
कुछ हम ही छोड़ते जाते हैं
जीवन की आपाधापी में ....
मन के सत्य को ऊजागर करती आपकी कविता बहुत ही प्रभावित कर गई। मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है। धन्यवाद।
भावो की सुंदर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंभावमय करती प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सभी को धन्यवाद .......
हटाएंसच कहा, जीवन क दौड़ मे खुद को खोया तो क्या पाया!
जवाब देंहटाएंबढ़िया भाव और विचार अभिव्यक्ति .सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएं